नीचे टाट की फटिटयों पर बैठना और खूब धमाचौकड़ी मचाना भला कैसे भूला जा सकता है?
2.
कोई चिंता नहीं बस सारा दिन सारे घर में कभी धूप में तो कभी छाँव में धमाचौकड़ी मचाना और शाम को छत पर पतंग उडाना......
3.
वो बगिया में आधा किलो अमरुद खरीदना और फिर चार किलो से अधिक चुराना क्योंकि माली चाचा को दिखता कम था जब तक चलता था पता हम सब हो चुके होते थे रफूचक्कर छोटी सी बगिया में धमाचौकड़ी मचाना एक दौरे में तहस नहस करना जाने कहां गए वो दिन